जी.एस.टी. रिटर्न्स दायर करें- अब मासिक और त्रेमासिक अवधि में भी


जी.एस.टी. हमारी नयी कर व्यवस्था का आधार है और जी.एस.टी. रिफ़ार्म के अंतर्गत, एक अहम् कदम उठाया गया है जिसके आधार पर जी.एस.टी. दायर करने की बोझिल प्रक्रिया को और आसान बनाया जा सकता है। इससे और भी करदाताओं को जी.एस.टी. भरने के लिए उत्साहित किया जा सकता है।

जी.एस.टी. रिफार्म-१ के अनुसार सबसे राहत की बात है कि अब यह दाखिला मासिक और त्रेमासिक अवधि में भी कर सकते हैं। जी.एस.टी. दायर करने पर उस करदाता के, उस अवधि के, पूरे क्रय-विक्रय का ब्यौरा संक्षेप में प्रस्तुत होता है। हालांकि यहाँ भी एक प्रतिबन्ध है: यह छूट केवल उन्हीं करदाताओं के लिए है, जिनका वार्षिक टर्नओवर पिछले वित्तीय वर्ष में १.५ करोड़ तक रहा हो अथवा वर्तमान वित्तीय वर्ष में १.५ करोड़ तक प्रत्याशित है।

यह निर्णय २३वी जी.एस.टी. परिषद बैठक के तहत लिया गया था। इस निर्णय के बाद करदाताओं को उचित अवधि के लिए जी.एस.टी.आर-१ दायर करने की अनुमति है। जो भी करदाता त्रेमासिक अवधि के लिए दाखिला करते हों, उन्हें अगली बार के लिए चालू अवधि के आखिरी महीने में दाखिला करना अनिवार्य है। और, जो भी करदाता मासिक रूप से कर देना चाहते हैं, उन्हें पिछले माह के टैक्स दायर करना अनिवार्य है।

जी.एस.टी. का कई सारा डेटा विश्लेषणविद्या के आधार पर जाँचा जाता है, इस तरह से जी.एस.टी. रिफार्म के अनुसार टैक्स से सम्बंधित टाल-मटोल और टैक्स चोरी के प्रक्रमों को कम किया जा सकता है। इतना ही नहीं, बल्कि इससे टैक्स के बारे में लगातार मूल्यांकन किया जा सकता है।

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